हिंदी साहित्य जगत की प्रमुख साहित्यकार, कवित्री और आधुनिक युग की मीरा के नाम से जानी जाने वाली Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay के बारे में आज इस लेख में हम बात करने वाले हैं। किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के एक छोटे से कस्बे से निकली महिला साहित्यकार की दुनिया में प्रसिद्ध होगी। जब भी हिंदी साहित्य का नाम आता है तो महादेवी वर्मा का नाम महान लेखकों में गिना जाता है और उन्होंने सिर्फ अपनी कलम के दम पर ही हिंदी साहित्य में एक नई क्रांति ला दी थी क्योंकि इन्होंने हिंदी साहित्य के अंदर निहार, रश्मि, नीरजा, दीपशिखा जैसी कई बड़ी रचनाएं लिखी थी।
महादेवी वर्मा ने जो कीर्तिमान स्थापित किया है, इसको युगो युगो तक याद रखा जाएगा और आज भले ही महादेवी वर्मा जी हमारे बीच में ना हो लेकिन जब भी हिंदी साहित्य का नाम लिया जाएगा, तब महादेवी वर्मा को सबसे पहले याद किया जाएगा और आज के इस लेख के जरिए हम उनकी यादों को फिर से ताजा करने वाले हैं तो दोस्तों क्या आप एक महान हस्ती के व्यक्तित्व को जानने के लिए तैयार हैं तो आज के इस लेख के अंदर हम आपको महादेवी वर्मा के जीवन परिचय(Mahadevi Verma Biography In Hindi) के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं तो Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay को जानने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay | महादेवी वर्मा की सम्पूर्ण जीवनी
नाम (Name) – महादेवी वर्मा
जन्मस्थल – 26/03/1907, फ़ररुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम (Father Name) – गोविन्द प्रसाद वर्मा
माता का नाम (Mother Name) – हेमरानी देवी
पति का नाम (Husband Name) – नारायण वर्मा
पेशा (Occupation ) – लेखिका, कवयित्री
मृत्युस्थल (Death) – 11/09/1987, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
भाई-बहन – एक भाई, एक बहन
अवार्ड (Award) – पद्म विभूषण
महादेवी वर्मा की शिक्षा (Education of Mahadevi Verma in Hindi)-
- महादेवी वर्मा ने अपनी शुरुआती शिक्षा इंदौर से पूरी की थी और 1919 के अंदर आदि की शिक्षा पूरी करने के लिए महादेवी वर्मा प्रयाग चली गई थी और उसके बाद महज 9 वर्ष की उम्र में ही इनकी शादी नारायण प्रसाद जी से कर दी गई थी, जिसकी वजह से इनकी शिक्षा बीच में ही रुक गई थी और शादी के बाद महादेवी वर्मा कॉलेज के ही छात्रावास के अंदर रहने लग गई थी।
- 1921 के अंदर आठवीं कक्षा में महादेवी वर्मा ने प्रथम स्थान हासिल किया था और 1924 के अंदर हाई स्कूल के अंदर भी प्रथम स्थान ही हासिल किया था। 1928 के अंदर महादेवी वर्मा ने अपनी स्नातक की परीक्षा को पास किया था और 1933 के अंदर उच्च स्नातक की परीक्षा को उत्तीर्ण करते हुए काव्य जगत के अंदर अपने करियर की शुरुआत की थी। 1933 के अंदर संस्कृत विषय से अपनी स्नातक की परीक्षा को जब इन्होंने पास किया था, तब तक इन्होंने निहार और रश्मि कविता लिख दी थी।
महादेवी वर्मा का साहित्य जीवन परिचय –
- Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay की बात आती है तो उनके जीवन को साहित्य दृष्टि से देखा जाता है और महादेवी वर्मा ने सिर्फ 7 वर्ष की उम्र में ही काव्य लिखना शुरू कर दिया था और बचपन से ही महादेवी जी का काव्य लिखने का शौक था। महादेवी वर्मा ने जब जन्म लिया था तो उनके पिताजी गोविंद प्रसाद जी बहुत अत्यधिक खुश हुए थे और उनका मानना था कि इनका जन्म माता रानी की कृपा दृष्टि से हुआ था। शायद यही कारण था कि इन्होंने इनका नाम महादेवी रखा था।
- महादेवी वर्मा को काव्य लिखने का बहुत अधिक शौक था और साथ ही साथ एक समाज सुधारक के रूप में भी कार्यरत थी। इन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर काफी जोर दिया था और महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए इन्होंने कई बार क्रांति छेड़ी थी। इसलिए इनको आधुनिक युग की मीरा बाई कहीं जाती है।
- महादेवी वर्मा की काव्य रचनाएं सबसे पहले चांद पत्रिका के अंदर प्रकाशित हुई थी और उसके बाद इनको पदम भूषण का अवार्ड मिला था। साथ ही साथ इनको मंगला प्रसाद और सेकसरिया पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। 1983 के अंदर उत्तर प्रदेश के अंदर इनको भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और यामा ग्रंथ पर इनको ज्ञानपीठ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध काव्य रचनाएं –
- महादेवी वर्मा कविताओं के अंदर गद और पद दोनों का ज्ञान रखती थी और उन्होंने इन विषयों के अंदर प्रसिद्ध कविताएं लिखी थी जो कि इस प्रकार से है –
1) रश्मि
2) निहार
3) नीरजा
4) संध्या गीत
5) दीपशिखा अ
6) तीत के चलचित्र
7) स्मृति की रेखाएं
8) साहित्यकार की आस्था
9) संकलित
10) मेरा परिवार
11) चिंतन के क्षण
महादेवी वर्मा के अवॉर्ड्स (Awards of Mahadevi Verma) –
- महादेवी वर्मा के जीवन परिचय के इस लेख के अंदर हम आपको आगे बताने वाले हैं कि महादेवी वर्मा ने जीवन में क्या-क्या उपलब्धियां हासिल की थी और उनके प्रमुख अवार्ड कौन-कौन से थे तो चलिए जानते हैं –
- 1934 के अंदर महादेवी वर्मा को नीरजा काव्य पर सेकसरिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और साथ ही साथ ₹500 की धनराशि दी गई थी।
- 1944 के अंदर निहारिका व्य ग्रंथ पर मंगला प्रसाद अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
- 1956 के अंदर महादेवी वर्मा को भारत सरकार के द्वारा पदम भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
- प्रसिद्ध काव्य रचनाओं पर 1988 के अंदर पदम विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
- 1982 के अंदर संकलन यामा काव्य के लिए महादेवी वर्मा को ज्ञानपीठ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
महादेवी वर्मा की मृत्यु –
- महादेवी वर्मा जी की मृत्यु 11 सितंबर 1987 को प्रयाग के अंदर हुई थी जो आज के समय में प्रयागराज के नाम से जाना जाता है। महादेवी वर्मा जी इस दिन एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में और महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ती लड़ती पंचतत्व के अंदर विलीन हो गई थी।
महादेवी वर्मा के प्रेरणादायक विचार (Inspirational Thoughts of Mahadevi Verma)
1) “हमारी शिष्टता की परीक्षा तब नहीं हो सकती,
जब कोई बड़ा अतिथि हमें अपनी कृपा का दान
देने घर में आता है, वरन् उस समय होती है,
जब कोई भूला-भटका भिखारी द्वार पर खड़ा होकर
हमारी दया के कण के लिए हाथ फैला देता है ।
2) “स्नेह ही मनुष्यता के
मन्दिर का एकमात्र देवता है।
3) “कला मनुष्य के हृदय और बुद्धि को
प्रभावित करके ही उसके कर्म को प्रभावित करती है
और एक-एक को बदल कर ही सबको
बदलने में समर्थ होती है।
4) “ऊँचाई अच्छी है,
पर उस पर धूप, आँधी,
पानी और भी अधिक वेग से
आक्रमण करते हैं।
5) “स्नेह सब कुछ सह सकता है,
केवल दया का भार नहीं सह सकता।
महादेवी वर्मा
6) “कीचड़ से कीचड़ को धो सकना
न सम्भव हुआ है न होगा;
उसे धोने के लिए निर्मल जल चाहिए।
महादेवी वर्मा
7) “जितने भी दिन जीओ
फूल बनकर जियो,
काँटा बनकर नहीं।
8) “जीवन के सम्बन्ध मे निरन्तर जिज्ञासा मेरे स्वभाव का अंग बन गई है।
9) “मैंने हँसी में कहा – तुम स्वर्ग मे कैसे रह सकोगे बाबा! वहाँ तो न कोई तुम्हारे कूट पद और उलटवासियाँ समझेगा और न आल्हा-ऊदल की कथा सुनेगा । स्वर्ग के गन्थर्व और अप्सराओ मे तुम कुछ न जँचोगे।
10) कला का सत्य जीवन की परिधि में, सौंदर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखंड सत्य है।
11) “अपने विषय में कुछ कहना पड़े, बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को।
12) “वे मुस्कुराते फूल, नहीं जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना।
13) “प्रत्येक गृहस्वामी अपने गृह का राजा और उसकी पत्नी रानी है. कोई गुप्तचर, चाहे देश के राजा का ही क्यों न हो, यदि उसके निजी वार्ता को सार्वजनिक घटना के रूप में प्रचारित कर दे, तो उसे गुप्तचर का अनधिकार, दुष्टाचरण ही कहा जाएगा।
14) “मैं नीर भरी दुःख की बदली! विस्तृत नभ का कोना कोना,मेरा कभी न अपना होना, परिचय इतना इतिहास यही, उमड़ी थी कल मिट आज चली।
Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay के जीवन से जुड़े कुछ FAQs-
1) – महादेवी वर्मा का जन्म कहां और कब हुआ था?
- महादेवी वर्मा का जन्म 1960 के अंदर उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर के अंदर हुआ था।
2) – महादेवी वर्मा को किन अवार्ड से सम्मानित किया गया था?
- महादेवी वर्मा को साहित्य जगत के अंदर 1988 में भारत सरकार के द्वारा पदम भूषण और पदम विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
3) – महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी है?
- महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं रश्मि, निहार, नीरजा, अग्नि रेखा, दीपशिखा है।
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निष्कर्ष (Conclusion)- Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay
- आज इस लेख के अंदर हमने ” Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay | महादेवी वर्मा का संपूर्ण जीवन परिचय, Biography of Mahadevi Verma in Hindi “ शेयर किया है। अच्छा करते हैं आपको इस लेख के माध्यम से जरूर कुछ अच्छी जानकारी सीखने को मिली होगी। महादेवी वर्मा एक ऐसा व्यक्तित्व है, जिसने काव्य ग्रंथ को एक नई दिशा दी है और साहित्य जगत के अंदर अपनी एक नई पहचान बनाई है। इनके अंदर भावनात्मक गहनता थी इसी वजह से इनको आधुनिक युग की मीरा के नाम से जाना जाता है।
- यदि आप भी अपने जीवन के अंदर बदलाव लेकर आना चाहते हैं तो आपको इनके जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। अगर आपको इस लेख की जानकारी अच्छी लगी तो इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, धन्यवाद।