Tuesday, December 5, 2023
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Biography of Shri Krishna | भगवान श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवनी

Biography of Shri Krishna in Hindi | भगवान विष्णु ने कई अवतार धारण किए थे। लेकिन उनमें से श्री कृष्ण अवतार जो हमारे लिए मार्गदर्शन देने वाला है। 

भगवान श्री कृष्ण ने अपना जीवन जीकर हमको सिखाया है कि हमें हमारा जीवन कैसे जीना चाहिए? तो आज के इस लेख के अंदर हम बात करने वाले हैं भगवान श्री कृष्ण के संपूर्ण जीवन के बारे में, कि किस तरह से उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अगर आप भी भगवान श्री कृष्ण के बारे में जानना चाहते हैं और उनसे कुछ सीख लेना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें-

Shri Krishna Biography in Hindi | भगवान श्री कृष्ण का परिचय 

  • हिंदू धर्म के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार अवतार माना जाता है और भगवान श्री कृष्ण को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे -केशव, गोपाल, देवकीनंदन, कन्हैया, श्याम इत्यादि नामों से भगवान श्री कृष्ण को हिंदू धर्म के अंदर जाना जाता है। 
  • एक समय की बात है जब मथुरा का राजा कंस अपनी बहन देवकी को लेकर ससुराल जा रहा था। तो उस समय आकाशवाणी हुई कि देवकी के आठवें पुत्र के हाथों से कंस का वध होगा। 
  • यह बात सुनकर कंस घबरा गया और उसने देवकी के पति वासुदेव को मारने की कोशिश की लेकिन देवकी ने कंस के सामने विनती की के वासुदेव को मत मारो; मेरी जो भी संतान होगी, मैं उन सभी को स्वयं तुम्हारे हाथों में सौंप दूंगी। इसी बात पर कंस ने वासुदेव को छोड़ दिया लेकिन कंस ने देवकी और वासुदेव दोनों को बंदी बना लिया और उन दोनों को कारागार के अंदर डाल दिया। 
  • अब जब देवकी और वासुदेव को सबसे पहले बच्चे की प्राप्ति हुई तो उसकी खबर कंसको लगी तो कंस ने पहले बच्चे को मार डाला और ऐसे एक-एक करके कंस ने सात पुत्रों को मार डाला था। 

Biography of Shri Krishna in Hindi

  • जब देवकी और वासुदेव की आठवें पुत्र का जन्म हुआ था तो उसी समय नंद और यशोदा के यहां पर पुत्री का जन्म हुआ था। 
  • देवकी के आठवें पुत्र के जन्म के समय कारागार के अंदर एकदम से प्रकाश हो गया था और वहां पर भगवान विष्णु का रूप प्रकट हुआ था और भगवान विष्णु ने बच्चे का रूप ले लिया था और उन्होंने कहा कि तुम मुझको अपने दोस्त नंद के पास लेकर चलो और मुझको वहां पर रख दो और तुम्हारे दोस्त के जन्मी पुत्री को कंस को सौंप दो और भगवान विष्णु ने कहा कि जब तुम इस कार्य को करोगे तो सभी पहरेदार तुमको सोए हुए मिलेंगे और सब कुछ अपने आप हो जाएगा और वर्षा के अंदर नाग तुम्हारी रक्षा भी करेगा और उसके बाद वासुदेव ने श्री कृष्ण को यमुना पार करवाते हुए वृंदावन में छोड़ दिया था। 
  • जब कंस को पता चला कि देवकी ने आठवें पुत्र को जन्म दिया है तो उसी समय कम उसको मारने के लिए गया और उसके बाद जब उस पुत्री को मारने की कोशिश की तो वह हवा में उड़ कर बोली की मुझको मार कर क्या करेगा कंस तुझे मारने वाला यहां से चला गया है। 

भगवान श्री कृष्ण को मारने की कोशिश 

  • कंस ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए पूतना नाम की एक राक्षस को भेजा था और जब उस राक्षस ने श्री कृष्ण को मारने की कोशिश की तो श्रीकृष्ण ने ही उसको मार डाला था और उसके बाद कंस ने दूसरी राक्षस को मारने के लिए भेजा और उसको भी श्री कृष्ण ने उसको भी मार डाला था और उसके बाद एक नाग को मारने श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा तो उस नाग को भी श्रीकृष्ण ने मार डाला था। 
  • आखिर में परेशान होकर कंस खुद श्री कृष्ण को मारने के लिए गए तो श्री कृष्ण ने कंस का वध कर दिया था। और इस तरह से आकाशवाणी सत्य हो गई थी भगवान श्री कृष्ण के द्वारा ही कंस का वध किया गया था और भगवान श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। 

भगवान श्री कृष्ण ने की रासलीला –

  • भगवान श्री कृष्ण हमेशा बांसुरी बजाते थे और उनको बांसुरी बजाना बहुत ही पसंद था और जब भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे तो सभी पेड़ पौधे पशु पक्षी धरती आसमान सब नाच उठते थे और सब उनकी धुन में मस्त हो जाते थे और भगवान श्री कृष्ण गोकुल के अंदर राधा से प्रेम करते थे। 
  • जब श्री कृष्ण गोकुल को छोड़ने वाले थे तो उस समय उन्होंने कहा था कि वे आज से बांसुरी बजाना छोड़ देंगे और उस दिन के बाद उन्होंने जीवन में कभी भी बांसुरी नहीं बजाई और गोकुल को भी छोड़ दिया था। 

द्वारिकापुरी के राजा बने (Biography of Shri Krishna in Hindi) – 

  • भगवान श्री कृष्ण ने संदीपनी ऋषि जी के आश्रम में अपनी शिक्षा को ग्रहण किया था और सभी अस्त्र शस्त्रों का ज्ञान लेकर जब द्वारिकापुरी गये तो उनको वहां का राजा बना दिया गया था और जब ऋषि के आश्रम में भगवान श्री कृष्ण अपने शिक्षा को ग्रहण कर रहे थे। तभी उसी समय उनकी दोस्ती सुदामा के साथ हुई थी 

महाभारत युद्ध रोकने का प्रयास 

  • जब पांडवों और कौरवों के मध्य युद्ध की बात हो रही थी तो भगवान श्री कृष्ण कौरवों के पास शांति दूत बनकर गए थे और युद्ध को रोकने के लिए कौरवों से अपील की थी। 
  • लेकिन भगवान श्री कृष्ण इस कार्य के अंदर सफल नहीं हो सके क्योंकि दुर्योधन पांडवों को कुछ भी देने के लिए तैयार नहीं था और युद्ध के लिए पांडवों को आमंत्रित कर रहा था। इसी वजह से महाभारत का युद्ध हुआ था। 

 भगवान श्री कृष्ण का योगदान महाभारत युद्ध में –

  • हम सभी को पता है कि महाभारत के युद्ध के अंदर भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे और उस युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध लड़ने की बड़े-बड़े उपदेश दिए थे और उन सभी उपदेशों की बात श्रीमद भगवत गीता के अंदर भी की गई है। 
  • श्री कृष्ण ने महाभारत के अंदर कोई भी शस्त्र नहीं उठाए थे। वे सिर्फ अर्जुन के सारथी बने थे और पूरे युद्ध का परिणाम भी सुनिश्चित कर दिया गया था।
  • भगवान श्री कृष्ण के द्वारा हमेशा धर्म का साथ दिया गया था और सभी पांडवों को हमेशा धर्म की राह दिखाते थे और धर्म की राह पर चलकर महाभारत के युद्ध के अंदर पांडवों ने और भगवान श्री कृष्ण ने जीत हासिल की थी। 

भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु

  • भगवान श्री कृष्ण एक बाहर पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे तो उस समय एक शिकारी ने हिरण की आंख समझ कर गलती से अपने बाण से भगवान श्री कृष्ण के पैर को निशाना बनाया था और उसके बाण विषयुक्त थे और उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने अपने प्राणों को त्याग दिया था और उसके बाद बैकुंठधाम चले गए थे और ऐसा माना जाता है कि उनकी द्वारिका नगरी भी समुंदर के अंदर डूब गई थी। 

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निष्कर्ष – Biography of Shri Krishna in Hindi

  • आज के इस लेख Biography of Shri Krishna in Hindi के अंदर हमने भगवान श्री कृष्ण के संपूर्ण जीवन के बारे में बात की है। अगर आपको इस लेख की जानकारी पसंद आई तो इसको अपने दोस्तों के साथ में शेयर जरूर करें धन्यवाद। 
  • अगर आपका कोई पर्सनल सवाल हो तो आप हमें selfhelpinhindi@gmail.com मेल कर सकते है।  
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